
हाथों में टिकट लिये,
शहर के तंग सड़कों पर खड़ा हूँ,
धुओं के बादलों में सिर्फ
ट्रैफिक सिग्नल की रोशनी दिखाई देते हैं..
‘सरसों’ तो सिर्फ लिखे हुए मिलते हैं
विज्ञापनों में छपे,
दीवारों पर टंगे हुए मिलते हैं,
पीले फूलों से भरे, खेत कहाँ दिखाई देते हैं..
~ विनय पाण्डेय
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